Menu
blogid : 6020 postid : 297

है सच को पाना ……..

Mujhe bhi kuch kehna hai
Mujhe bhi kuch kehna hai
  • 19 Posts
  • 737 Comments

आह ,सीने को चीर कर
एक हुंकार सी उठी है …..
मानव देख तेरी ज़िन्दगी
किस क़दर लुटी है ……..

जब -जब किया तूने खून
इंसानी ज़ज्बातों का ……
आसमां भी है थर्राया .
ज़मीं काँप उठी है …….
आह सीने को चीरकर
एक हुंकार सी उठी है ….

रौंदा जब -जब सीना धरती का
सागर के लहरों में उफ़ान उठी है
क़ायनात को मिटाने वाले
अस्तित्वा तेरी ख़ुद आन मिटी है
आह ,सीने को चीरकर …….
एक हुंकार सी उठी है ……….

उसूलों ,आदर्शों के लहूँ के छींटे
बिखेरे दरों -दीवारों पे ………..
छल-कपट बेईमानी का
ज़हर घोला ,फ़िजाओं में ……..
ख़ुद को ख़ुदा समझने वाले
ये तेरी नासमझी है ………..
मत भूल तूं सिर्फ मिट्टी है
तूं सिर्फ मिट्टी है ………..
आह ,सीने को चीरकर
एक हुँकार सी उठी है ……..

बदलेंगे हम ,वक़्त भी बदलेगा
अँधेरे का पट खोल ….
घर -घर में नई सोच
जाग उठी है …………
तहस -नहस हो चुकी जिंदगी में
पुरुषत्व फिर से आन उठी है ..
आह ,सीने को चीरकर
एक हुँकार सी उठी है ………

इन्तहां हो चुकी अब
छलक चुका है ,सब्र का पैमाना
शंखनाद हो चुका है ,गद्दारों ..
अब हमें है ,सच को पाना …….
अब हमें है सच को पाना ………
साधना ठाकुर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply